Diwali Essay In Hindi 1000 Words
दिवाली पर निबंध 1000 शब्दों में
इस पोस्ट मे शुभ दिवाली के शुभ अवसर पर Happy Diwali के लिए Diwali Essay In Hindi 1000 Words शेयर कर रहे है, जिस निबंध को Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखी गई है। जिसे इन कक्षा के छात्र अपनों के साथ शेयर कर सकते है, तो चलिये अब 1000 Words On Diwali In Hindi Essay – दीपावली पर निबंध 1000 शब्दों में को जानते है।
दिवाली पर निबंध 1000 शब्दों में
Diwali Essay In Hindi 1000 Words
दिपावली का त्यौहार भारत में और अन्य कई देशों में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। दीपावली को दीप का त्यौहार भी कहा जाता है। दिवाली का त्यौहार भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। जिसे भारत में बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने रावण को पराजित करके और अपना 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे।
श्री राम भगवान की आने की खुशी वहां के सभी लोगों ने दिये जलाए थे। तब से लेकर अब तक हर वर्ष इस दिन को दीवाली के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। लोग आज भी इस दिन को उतने की खुशी से मनाते हैं। ये त्यौहार बच्चा, बूढें, बड़े हर कोई बहुत ही अच्छे से मनाता है। यहां तक कि स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में भी दीवाली को त्यौहार को बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। इन दिन लोग एक दूसरे को दीवाली की बधाई देते हैं और बहुत से उपहार भी तोहफे के रूप में देते हैं।
दिवाली जो की हमारे भारत देश में मनाया जाने वाला सबसे बडा़ त्यौहार है। यह त्योहार भगवान श्रीराम के 14 वर्षो के वनवास के पश्चात अयोध्या मे वापस लौटने की खुशी मे पूरे अयोध्या मे घर घर, गली मुहल्ले, हर जगह दीये जलाए गए थे, जिससे पूरा अयोध्या स्वर्ग के समान जगमगाने लगा था, इस तरह हर साल दीये इस शुभ दिन दीये जलाया जाने लगा, जिसे हम सभी दिवाली के त्योहार के रूप मे मनाते है।
दीवाली के कुछ हफ्ते पहले से ही लोग आते ही लोग अपने घर की साफ-सफाई भी करते है। फिर दिवाली के दिन नए कपड़े पहनते है, मिठाई खाते हैं, दीप जलाते है, पटाखे जलाते हैं, लक्ष्मी-गणेश भगवान की पूजा करते हैं, और एक दूसरे को दिवाली की मिठाई बांटते है, और एक दूसरे को दिवाली की शुभकामना देते है, और मिलजुलकर इस तरह दिवाली का त्योहार मनाते है।
दिवाली का त्यौहार हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है, फिर चाहे वो बड़ा हो या बच्चा। हर कोई इस त्यौहार को बड़ी ही धूम धाम से मनाता है। साथ ही स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों आदि में भी दीवाली का त्यौहार बहुत ही उल्लास के साथ मनाया है, दीपावली का ये त्यौहार साल में एक बार आता है जो कि अक्टूबर या नवम्बर की माह में होता है, दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है,
दिवाली के एक माह पूर्व से ही लोग घरों की साफ़ सफाई तथा पर्व की तैयारी में लग जाते हैं. लोग अपने घरों दुकानों तथा ऑफिस आदि को सजाते संवारते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी सबसे स्वच्छ स्थल में वास करती हैं. रात में लोग माँ के स्वागत के लिए घरों के द्वार भी खुले छोड देते हैं.
ऐसा भी कहा जाता है कि दीपावली के दिन साफ सफाई रखने से लक्ष्मी का वास होता है। इसीलिए दीपावली के दिन धन की देवी लक्ष्मी माँ और गणेश जी की पूजा होती है. और माँ लक्ष्मी जी के आशीर्वाद से घर मे सुख शांति और वैभव प्राप्त होते है, इसलिए दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी और गणेश जी विशेष अर्चना किया जाता है।
दिवाली का त्योहार कुल 5 दिनो के लिए मनाया जाता है, जो की दिवाली के दो दिन फले से दिवाली के दो दिन बाद तक रहता है, जिसे हर दिन अलग अलग नामो से दिवाली के इस त्योहार को मनाया जाता है, दिवाली त्यौहार के इन सभी पांच दिनों में खाद्य पदार्थों और मिठाई के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं, लोग इस दिन पासा, कार्ड गेम और कई अन्य प्रकार के खेल खेलते हैं। वे अच्छी गतिविधियों के करीब आते हैं और बुरी आदतों को दूर करते हैं।
दरअसल दिवाली का पर्व एक दिन का न होकर पंचदिवसीय पर्व हैं. इसका प्रथम दिवस धनतेरस के रूप में जाना जाता हैं. इस दिन कुबेर और धन्वन्तरि का जन्म हुआ था. मान्यता है कि इस दिन खरीददारी करने से धन 13 गुणा बढ़ जाता हैं. इसका दूसरा दिन छोटी दीपावली का होता हैं इसके पीछे मान्यता है कि इस दिन कृष्ण ने नरकासुर का वध कर अधर्म पर धर्म की विजय दिलाई थी.
दीपावली भी इसी तरह का त्यौहार है क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम अथार्त ज्ञान ने रावण रूपी अज्ञान को पराजित किया था। राम जी के वनवास से वापसी के लिए लोगों ने पूरी अयोध्या नगरी को फूलों, दीपों और रंगों से बहुत ही अच्छी तरह से सजाया था। जिसकी वजह से इसे दीपावली नाम दे दिया गया और हर साल मनाया जाने लगा।
दिवाली के पहले दिन धनतेरस या धन्त्ररावदाशी के रूप में जाना जाता है जिसे देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है। लोग देवी को खुश करने के लिए आरती, भक्ति गीत और मंत्र गाते हैं, दूसरे दिन नरका चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में जाना जाता है जिसे भगवान कृष्ण की पूजा करके मनाया जाता है क्योंकि उन्होंने राक्षस राजा नारकसुर को मार डाला था,
विजयादशमी के दिन रावण का वध कर वे सीता समेत कार्तिक अमावस्या के दिन अयोध्या पहुँचते हैं. वहां की जनता अपने राजा का स्वागत घी के दिए जला कर करती हैं. इस तरह से यह दीपों का त्योहार बन गया जिसे हर हिन्दू प्रत्येक वर्ष धूमधाम से मनाता हैं.
दीवाली की रात पूरा भारत जगमगाता है। रंग बिरंगी लाइटें, दिए, मोमबत्ती आदि से पूरे भारत को सजाया जाता है। दीवाली की शाम भगवान लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा करने के बाद सभी लोग अपने पड़ोसियों और अपने रिश्तेदारों को प्रसाद, मिठाई, गिफ्ट आदि देते हैं। इस दिन लोग पटाखे, बम, फुलजड़ी आदि भी जलाते हैं। दीवाली के त्यौहार को बुरे पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। भारत की नहीं बल्कि और भी कई देशों में दीवाली का त्यौहार बहुत की धूम धाम से मनाया जाता है।
दीपावली के दिन सभी लोग बहुत से मजेदार खेल खेलते हैं, स्वादिष्ट व्यंजन खाते हैं और पटाखे जलाकर इस दिन को बहुत ही खास बना देते हैं। इस दिन सभी जगहों चाहे वह सरकारी कार्यालय हो या सडक सभी को साफ करके अच्छी तरह से सजाया जाता है। इस दिन सभी लोग दिए, मोमबत्ती, लड़ी लगाकर अपने घरों को सजाते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं, मिठाईयां खिलाते हैं और दीपावली की बधाई देते हैं।
बच्चें बूढ़े बालक स्त्रियाँ सभी आयु के लोग दिवाली पर्व को मनाते हैं. भारत में इस पर्व के मौके पर लम्बी सरकारी छुट्टियाँ भी रहती हैं जिससे नौकरी पेशे से जुड़े लोग भी अपने परिवार के साथ इस पर्व को मनाते हैं. अंग्रेजी महीनों के अनुसार यह पर्व अक्टूबर अथवा नवम्बर माह में पड़ता हैं. इसके आगमन से कई दिन पूर्व से ही लोग घर की साफ़ सफाई रंग रोगन तथा खरीददारी में लग जाते हैं.
दिवाली की शाम को घर घर घी के दिए लाइट आदि से जगमगाहट की जाती हैं. शुभ मुहूर्त के समय माँ लक्ष्मी, श्रीगणेश तथा सरस्वती जी की पूजा आराधना कर सुख सम्रद्धि की कामना की जाती हैं. दिवाली को पूरे भारत में खूब धूमधाम से मनाया जाता है, यहा तक कि दिवाली सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर रहने वाले विदेशो मे भी भारतीय और अन्य धर्म के लोग भी बहुत धूम धाम से मनाते हैं…
उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए हम हर साल दिवाली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती हैं. इस तरह यह एक खुशियों का पर्व है जो हमारे जीवन में आनन्द बिखेर जाता हैं.
इसके अतिरिक सिख धर्म में भी दिवाली के दिन का ऐतिहासिक महत्व हैं इस दिन छठे सिख गुरु हर गोबिंद जी को मुगलों ने रिहा किया था, अतः सिख लोग इसे बंदी छोड़ पर्व के रूप में भी मनाते हैं.
हिन्दू धर्म की कथाओं के अनुसार माना जाता हैं कि जब रावण सीता का हरण का लंका ले गया तो भगवान राम ने लंका की चढ़ाई की और दशहरा के दिन रावण का वध कर सीता के साथ अयोध्या रवाना हुए थे. माना जाता है, कि कार्तिक अमावस्या की रात को ही प्रभु राम सरयू के तट अयोध्या पहुंचे थे. अपने प्रिय राम के आगमन पर वहां के निवासियों ने घी के दिए जलाए तथा खुशियों के साथ राम को गले लगाया.
दिवाली की रात धन दात्री देवी लक्ष्मी जी की पूजा करने का विधान हैं. सुख सम्पदा के लिए लक्ष्मी के साथ ही माँ सरस्वती तथा गणपति का भी पूजन किया जाता हैं. इस रात को घर में विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं दोस्तों रिश्तेदारों को पावन पर्व की बधाई के साथ उपहार भी आदान प्रदान किये जाते हैं.
हर त्योहार का अपना महत्व हैं. जिस प्रकार ईद मुसलमानों में भाईचारे का त्यौहार माना जाता हैं. उसी प्रकार दीपावली भी स्नेह का त्योहार हैं. इस दिन सभी व्यक्ति अपने इष्ट मित्रों से मिलते हैं. और उन्हें शुभकामनाओं सहित मिठाई आदि भेट करते हैं. सांस्कृतिक पर्व की दृष्टि से यह त्योहार पौराणिक परम्पराओं को बनाए रखने वाला हैं.
दिवाली का त्योहार कुल 5 दिनो के लिए मनाया जाता है, जो की दिवाली के दो दिन फले से दिवाली के दो दिन बाद तक रहता है, जिसे हर दिन अलग अलग नामो से दिवाली के इस त्योहार को मनाया जाता है, दिवाली त्यौहार के इन सभी पांच दिनों में खाद्य पदार्थों और मिठाई के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं, लोग इस दिन पासा, कार्ड गेम और कई अन्य प्रकार के खेल खेलते हैं। वे अच्छी गतिविधियों के करीब आते हैं और बुरी आदतों को दूर करते हैं।
दिवाली के पहले दिन धनतेरस या धन्त्ररावदाशी के रूप में जाना जाता है जिसे देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है। लोग देवी को खुश करने के लिए आरती, भक्ति गीत और मंत्र गाते हैं, दूसरे दिन नरका चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में जाना जाता है जिसे भगवान कृष्ण की पूजा करके मनाया जाता है क्योंकि उन्होंने राक्षस राजा नारकसुर को मार डाला था,
तीसरे दिन मुख्य दिवाली के रूप में जाना जाता है दिवाली की शाम को चरो तरफ दिये जलाए जाते है, और फिर शाम को रिश्तेदारों, दोस्तों, पड़ोसियों और जलती हुई फायर क्रैकर्स के बीच मिठाई और उपहार वितरित करते हुए देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है,
उपसंहार : दीपावली भारत में सभी धर्मों के द्वारा मनाया जाने वाला एक त्यौहार है क्योंकि यह सभी के लिए खुशी और आशीर्वाद लेकर आता है। इस त्यौहार की वजह से हर साल लोगों को बुराई पर अच्छाई की जीत का एक नया सत्र सीखने को मिलता है।
किसी भी तरह का पर्व हमें उसके भूत में ले जाता है और हम फिर से एक बार उसके पीछे के कारणों को याद कर पाते हैं। यह एक बहुत ही अच्छा तरीका होता है अपने पुराने समय या अपने देश के अतीत को स्मरण करने का।
तो आप सभी को यह दिवाली के लिए निबंध – Essay on Diwali in Hindi 1000 Words खूब पसंद आया होगा, तो आप अपने विचार कमेंट मे जरूर बताए और दिवाली पर निबंध 1000 शब्दों में – Diwali Essay In Hindi 1000 Words को शेयर भी लोगो के साथ जरूर करे। और अंत मे आप सभी को हैप्पी दिवाली…
दिवाली 2023 के लिए अन्य पोस्ट :-
- दिवाली 2023 पर निबंध
- दिवाली पर अनमोल विचार
- ब्यूटीफूल हॅप्पी दिवाली विशेस 2023
- दिवाली पर कविता
- दिवाली पर नारे
- दिवाली पर हिन्दी मे कविता
- दिवाली पर 50 लाइन निबंध
Nice
Thanks Guri. Aise hi visit karte rahiye
Interesting content…
Bahut hi sundar essay hai diwali ke liye. Happy diwali ji aapko
Thanks Shubham, aapko bhi happy Diwali. Aise hi diwalishare visit karte rahiye.
Bahut Hi Behtarin Post hai sir Ji
Thanks Rahul . Happy Diwali
Bahut hi Mast Essay hai Sir Ji. Happy Diwali ke liye
Thanks Vishnu. Happy Diwali
Hi Dear, are you in fact visiting this website daily, if so then you will absolutely obtain pleasant knowledge.